खाली पन्नो (Khaali Pannon)

empty notebook with a pen
“ज़िंदगी का सफ़र बन गया है ऐसा की, चलता हूँ रोज़ मगर पर पहुँचता कहीं नहीं”

खाली खाली पन्नो पर लिखने को कुछ नहीं,
कलम पे लगी तो है सीहाई,
पर ना शब्द है ना अल्फ़ाज़ हैं,
ज़िक्र करूँ किसका, करूँ किसकी बातें,
ना जाने बीता कितना अरसा,
पर इस रास्ते आया कोई नहीं,

रोशनी में खुद की परछाई से ही दिल बहलाता हूँ,
पर इन सर्द रातों का हमसफ़र कोई नहीं,
तारों को गिनते-गिनते सोचता हूँ,
शायद कोई हो मेरे जैसा किसी जहाँ में कहीं,
होता अगर वो साथ मेरे, करता मैं बातें हज़ार,

दिन भर सीढ़ियों में बैठे रहते की जाना ना होता कहीं,
पर हम तो खुद से बातें करते रह गये,
ना आई उसकी कोई खबर,
ना ही आई होठों पर वो हँसी,
किसी से रंजिश नही, ना किसी से शिकायत है,
क्या मांगू उस खुदा से, हसरत भी तो कोई नहीं,



ये जंग तो बन गयी है खुद की,
के हारा तो मैं पर जीता भी कोई नहीं,
बारिश भी आकर भीगा के चली गयी,
ठीक ही हुआ की आँसू और पानी में फ़र्क मिट गया,

ज़िंदगी का सफ़र बन गया है ऐसा की,
चलता हूँ रोज़ मगर पर पहुँचता कहीं नहीं,
बस एक परेशान सा दिल लिए फिरता हूँ,
के पूछ ले हाल ही अपना कोई,
ये दिन भी बीत गया, चलो शाम भी हो गयी,
पर आज भी कोई आया नहीं,

आँखे तो जम गयी थी उस मोड़ पर,
शायद दिल भी ठहर गया अब,
बस इतनी सी इंतेज़ा है दोस्तों से मेरी,
के अगर आए कभी वो भूले इस रास्ते,
तो कह देना की ले जाओ उसकी ये आँखरी निशानी,
एक कलम और कुछ खाली पन्ने है,
कहता था के अगर वो आए होते,
तो ना ये पन्ने रहते खाली ना होती ये ज़िंदगी अधूरी,
पर वो तो कभी यहाँ आया नहीं…

-N2S
31072012