एक चेहरा याद आया (Recalled A Face)

view of street with crowd in sunset
“मैने मुड़ कर देखा तो वो चेहरा भीड़ में घूम गया,
इस बार गया तो याद ना आया…”

आज राह चलते दिखा तो याद आया,
कुछ अजीब सा हुआ दिल में,
एक लम्हा जहन में दौड़ आया,
वो चेहरा था कुछ जाना पहचाना सा,
शायद बिता बीच में अरसा था,
पर ना जाने क्यूँ, यूँही ये ख़याल आया,
आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,

वक़्त भी चलता है कभी,
कभी ये दौड़ता है सरपट घोड़े की दौड़,
बदल गया था शायद वो आँखों पर,
जिस पर यादें लड़ रही थी मेल करने का खेल,
बस लगी झड़ी कुछ लम्हो की,
तो दौड़ पड़ी यादों की रेल,

याद आए वो दिन, वो बातें कुछ पुरानी सी,
सालों पुरानी, किसी बुढ़िया के बालों सी,
बचपन की नादानी थी वो शायद,
या वक़्त ही कुछ ऐसा रहा होगा,
कुछ धुंधली सी यादों से जुड़ा लगता है,
कोई बचपन का यार ही होगा,



कहूँ क्या, ऐसे ही एक सवाल आया,
आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,
पूछूँ क्या के मेरे हाल से फ़र्क किसी को पड़ेगा नहीं,
भला होगा तो हंस देगा और
अगर दर्द में होगा तो हँसी में छुपा देगा,

नज़र होगी रास्ते पर और मन में हज़ार हिसाब होंगे,
फिर एक भूली हुई याद का शिरा पकड़कर दोनो हसंगे,
जानता तो वो भी होगा की यह बात भी भुला दी जाएगी,
हमारे मुड़ते ही यादों के रेगिस्तान में दफ़न हो जाएगी,

क्यूँ होता है ऐसा की चेहरे लम्हो की दुकान पर बेच दिए जाते है,
जब जी रहे थे वो पल हम,
वो शख्स बहुत करीब था दिल के,
बातों में शामिल, प्यारा था वो भीड़ से,
पर जब ज़िंदगी के बाज़ार में लम्हे नीलाम हुए,
वो हसीन चेहरे वाले सबसे पहले बिक गए,



आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,
चलो फिर मिलेंगे कभी,
ये तो वो भी जानता है के फिर कभी नही,
मिलेंगे अगर तो सिर्फ़ चेहरे होंगे,
एक दूसरे को तोलते बनिये होंगे,

कभी सोचता हूँ की जब मिलते ही है लोग बिछड़ने के लिए,
कुछ पल हँसने और फिर आगे बढ़ने के लिए,
कोई किसी को दोष ना दे चेहरा भूल जाने पर,
रंग बिरंगे पंखों वाले पंछी भी मिलते है एक दिन के लिए,
बैठकर पेड़ पर कुछ देर, निकल पड़ते है अपनी मंज़िल के लिए,
पंछी ही हैं हम भी शायद,
इसलिए तो जब वक़्त आता है तो उड़ जाते है,

-N2S
04032012