The Man

silhouette of a man
Being a man is making the choice between your happiness and the happiness of your loved ones and always choosing the latter. It is about not crying when your heart is broken. It is about being silent when you are hurt the most. It is about silently checking on the doors and windows if they are properly locked when everyone else is peacefully sleeping. It is about taking the last piece of the pie until everyone else is filled. It is about working hard everyday, taking all the stress of the job, bearing the all shit of boss and office politics just because you can’t afford risks. It is about checking upon family and calling and calling them until you know they have safely reached. In the end you would know that nobody will realize what pain you went through but it doesn’t matter as you didn’t do all that for recognition. When you will be done with the life and you are about to go, you would look back at your loved ones one last time to check if everyone is OK…because you are…THE MAN…
-N2S
01012020

मंज़िल से पहले (Manjil Se Pehle)

a boy looking at the sea appearing thoughtful

थी जो आग मुझमे,
जलती थी जो मेरे अंदर,
वजह थी वह हर खुशी की,
हर सपना उससे जगमगाता था,
कहती थी हसरत, कुछ हसीन है मंज़िल मेरी,
कुछ अलग सी तकदीर है मेरी,

उस मोड़ से दूर कहीं एक राह बहुत लंबी है,
जहाँ है थोड़ी यादें, लम्हों की कमी है,
डर लगता है की ये आग बीच राह में ही बुझ ना जाए,
जीतने की ये हसरत कहीं ऐसे ही सुख ना जाए,
हर बीता हुआ दिन कुछ और साँसे खर्च कर जाता है,
कुछ चेहरे, कुछ शिकवे बेवजह दे जाता है,



कदम चलता हूँ हज़ार मगर पर क्यूँ वहीं खड़ा हूँ मैं,
जितना समझुँ में खुद को उतना उलझता जाता हूँ मैं,
आँखें बंद करूँ तो दम सा घुट जाता है,
पर खुली आँखों से भी अंधेरा दूर कहाँ जाता है,
कभी कोशिश करता हूँ किसी को हँसाने की,
पर ये सोचकर ही हँसी बिखर जाती है की यह कोशिश कितनी झूठी है,
जब खुद ही दम तोड़ चुके है अरमान,
तो फिर मंज़िल से क्यूँ ये दूरी है,

हर जाती हुई शाम मुझे मेरे सपनों से दूर कर देती है,
और हर सुबह मेरे हसीन सपनो को तोड़ देती है,
धीरे धीरे ये आग बुझने लगी है,
पर जब देखता हूँ तो मेरी कहानी अब भी अधूरी सी है,
और जैसे कुछ कहानियाँ अक्सर ख़त्म हो जाती है मंज़िल से पहले,
बस एक डर है कहीं ये आग ना बुझ जाए मेरे जलने से पहले…
-N2S
20012012

एक चेहरा याद आया (Recalled A Face)

view of street with crowd in sunset
“मैने मुड़ कर देखा तो वो चेहरा भीड़ में घूम गया,
इस बार गया तो याद ना आया…”

आज राह चलते दिखा तो याद आया,
कुछ अजीब सा हुआ दिल में,
एक लम्हा जहन में दौड़ आया,
वो चेहरा था कुछ जाना पहचाना सा,
शायद बिता बीच में अरसा था,
पर ना जाने क्यूँ, यूँही ये ख़याल आया,
आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,

वक़्त भी चलता है कभी,
कभी ये दौड़ता है सरपट घोड़े की दौड़,
बदल गया था शायद वो आँखों पर,
जिस पर यादें लड़ रही थी मेल करने का खेल,
बस लगी झड़ी कुछ लम्हो की,
तो दौड़ पड़ी यादों की रेल,

याद आए वो दिन, वो बातें कुछ पुरानी सी,
सालों पुरानी, किसी बुढ़िया के बालों सी,
बचपन की नादानी थी वो शायद,
या वक़्त ही कुछ ऐसा रहा होगा,
कुछ धुंधली सी यादों से जुड़ा लगता है,
कोई बचपन का यार ही होगा,



कहूँ क्या, ऐसे ही एक सवाल आया,
आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,
पूछूँ क्या के मेरे हाल से फ़र्क किसी को पड़ेगा नहीं,
भला होगा तो हंस देगा और
अगर दर्द में होगा तो हँसी में छुपा देगा,

नज़र होगी रास्ते पर और मन में हज़ार हिसाब होंगे,
फिर एक भूली हुई याद का शिरा पकड़कर दोनो हसंगे,
जानता तो वो भी होगा की यह बात भी भुला दी जाएगी,
हमारे मुड़ते ही यादों के रेगिस्तान में दफ़न हो जाएगी,

क्यूँ होता है ऐसा की चेहरे लम्हो की दुकान पर बेच दिए जाते है,
जब जी रहे थे वो पल हम,
वो शख्स बहुत करीब था दिल के,
बातों में शामिल, प्यारा था वो भीड़ से,
पर जब ज़िंदगी के बाज़ार में लम्हे नीलाम हुए,
वो हसीन चेहरे वाले सबसे पहले बिक गए,



आज दिखा तो एक चेहरा याद आया,
चलो फिर मिलेंगे कभी,
ये तो वो भी जानता है के फिर कभी नही,
मिलेंगे अगर तो सिर्फ़ चेहरे होंगे,
एक दूसरे को तोलते बनिये होंगे,

कभी सोचता हूँ की जब मिलते ही है लोग बिछड़ने के लिए,
कुछ पल हँसने और फिर आगे बढ़ने के लिए,
कोई किसी को दोष ना दे चेहरा भूल जाने पर,
रंग बिरंगे पंखों वाले पंछी भी मिलते है एक दिन के लिए,
बैठकर पेड़ पर कुछ देर, निकल पड़ते है अपनी मंज़िल के लिए,
पंछी ही हैं हम भी शायद,
इसलिए तो जब वक़्त आता है तो उड़ जाते है,

-N2S
04032012