मेरा यार (Mera Yaar)

two school friends
“जब बारी आई अलविदा कहने की,
तो तेरा हँसता हुआ चेहरा याद आया…”

कल जब ज़िंदगी धीरे-धीरे हमसे सब छीन लेगी,
और उम्र की आँखरी सीढ़ी पर जब तुझे खड़ा देखूँगा,
ना जाने कितनी हसरतें अधूरी रह गयी होंगी,
ना जाने कितने वादे अधूरे रह गये होंगे,
हज़ार शब्दों के बीच में कुछ बातें अनकही रह जाएँगी,

चेहरा तो बहुत पहले भूल चुका होगा,
पर आँखों में बचपन की एक पुरानी याद रह जाएगी,
तुम्हे शायद याद भी ना होगी हमारी पहली मुलाकात,
की ना जाने कितनी सुबह तूने मुझे जगाया था,
ना जाने मेरे कितने खिलौने उधार लिए थे,
की प्यार भी किया उससे जिसे मुझे प्यार था,
और ना जाने कितनी शामों को हम लड़े थे,



ऐसे ही लड़ते झगड़ते ज़िंदगी के सारे मौसम आकर चले गये,
और जब बारी आई अलविदा कहने की,
तो तेरा हँसता हुआ चेहरा याद आया,
दूर कहीं मीठी से बीन की धुन बज रही होगी,
जैसे तुम्हे घर बुला रही हो,
कह रही हो जैसे शाम बहुत हो गयी है,
और घर के दरवाज़े पर खड़ी तेरी माँ तेरा इंतज़ार कर रही है,
पर मेरे यार, इस बार जो तू हसके रुख़्सत होगा,
यह कहकर की कल फिर मिलेंगे,
मैं जानता हूँ की कल तू नही आएगा,

बचपन से खेले थे जो खेल,
आज उनमें मुझसे जीतने तू नही आएगा,
जब सब लोग चले जाएँगे तुझे अलविदा कहकर,
और तेरी कब्र पर फूलों का ढेर लगा होगा,
मैं उस पत्थर पर हाथ फेर कर लिख जाउँगा,
यहाँ लेटा है मेरा यार,
जिसे मैं कल उठाने आउँगा…

-N2S
11082013