My World

a couple standing together facing each other and their heads out of picture

I get angry when I see you spending time with others,
Come on! That was my time,
I know you have friends, family, and work,
But I want to be on your mind,

I know I am possessive but I am not ashamed of it,
I want you only for me, don’t care what others think about it,
I have a habit of being extremely choosy, so I pick you,
Call me whiny or needy but I just need you,

I won’t say I am perfect, actually I am far from it,
I have a weakness to get attached badly, I can’t help it,
Please don’t get mad or irritated, I am just made this way,
I do what I feel is right, and speak what my heart says,



Sometimes I talk on and on so that you don’t hang the phone,
Sometimes I go silent, fighting fears on my own,
I don’t worry about many things, I only fear of losing you,
for every other problem, I know how to get through,

So stay with me as much as you can,
I don’t mind if you talk to me twenty-four seven,
I know I am talking rubbish, you are a busy person,
Your mind has a million things going on,

You have many important people to meet,
Big goals to complete and exotic places to be,
Here I am, my heart knows only one thing to do,
My world starts with you and it ends with you…
-N2S
29072016

आशिक़ (Lover)

lonely man
“हमारी जिस्म की राख को उनकी राह पर बिखरा देना, के इसी बहाने इस आशिक़ को उनके कदम छु जाए”

ना फूलों की डोली हो,
नही कोई शहनाई हो,
ना पलके भीगे यारों की,
ना कोई गमगीन समा हो,
जब अपनी अर्थी उठे तो बस,
उसके कदमों की आहट हो,
उसके कदमों की आहट पड़े और,
सफेद लिबास में लिपटी वो दस्तक दे,
देखे वो अपनी हसीन निगाहो से के,
हमारे चेहरे पे वो मुस्कुराहट आज भी है,
छोड़ के गये थे होंठों पर,
वो तारीफ के शब्द आज भी हैं,

तारीफ भी क्या करें उस मंज़र की,
जब वो हमको देखकर पलके झुकाए गुज़रते थे,
क्या तारीफ करें उस सादगी की
जिसपर हम लूट जाया करते थे,
हमारी बेसब्र कोशिशों का बस एक ही मकसद था,
के उसका दुपट्टा गुज़रे हमारे चेहरे से या
उसकी उंगलियाँ हमारे हाथों को छु जाए,
सोचते थे की कोई राह तो ऐसी
ज़रूर होगी जिसके मोड़ पर वो हमसे टकरा जाए,
पर ना वो राह मिली ना ही वो मोड़ आया,
ज़िंदगी गुज़र गयी इसी इंतज़ार में,
ना वो मंज़र लौटा, ना वो दौर आया,



अब जो लोग हमारे जनाज़े को कंधा लिए चल रहे हैं,
हमारी नज़रें अब भी जगी हैं इसी इंतेज़ार में,
के आज तो दुश्मन भी आए हैं हमें अलविदा करने,
एक पल के लिए ही सही वो मेहरबान आए,
ना आ सके वो तो भी कोई उन्हे दोष ना देना,
कोई तो वजह रही होगी,
गुनेहगार नही हैं वो,
हमारी जिस्म की राख को उनकी राह पर बिखरा देना,
के इसी बहाने इस आशिक़ को उनके कदम छु जाए…

-N2S
13092013