मेरी आवारगी (My Vagrancy)

lonely man looking at the dark sky
“सब होंगे अपने चाहने वालों की बाहों में, और एक मैं लाखों तारों के नीचे, अकेली रात से बातें करता हूँ…”

रात के दूसरे पहर, मैं दबे पैर घर से निकलता हूँ,
दुनिया नींद की आगोश में लिपटी है,
मैं अपने आवारगी से मजबूर, रात की राजकुमारी से मिलने चल पड़ता हूँ,
मोटर साइकल को आहिस्ते से निकालता हूँ,
के कहीं शोर से किसी की नींद ना टूटे,
मेरी आवारा फ़ितरत से किसे के सपनो का सिनेमा ना टूटे,

सुनसान सड़कों पर जब मैं हवा से बातें करता हूँ,
जहन में सुलगते सारे सवालों से परे होता जाता हूँ,
बस एक अजीब सा एहसास बाहें फलाए सीने को जकड़ लेता है,
और जब ठंडी हवा के झोंके मुझे हवा में उड़ाने लगते हैं,
बस मन करता हैं आँखें बंद करके बस उड़ता रहूं,



काजल से काली रात में सड़कों पर पीले रोशनी बिखरी पड़ी है,
पर कहीं-कहीं सिहाय काली झाड़ियों में कोई आकृति हिलने लगती है,
काले जॅकेट की गर्मी मेरे शरीर को ठंड से दूर रखती है,
पर चेहरे पर ओस हल्के-हल्के जमने लगी है,

सड़क पर ऑटो रिक्शा मुसाफिरों को ले जा रही है,
कुछ लौट रहे हैं घर को और कुछ सफ़र तय करने को निकले हैं,
सब सलामत रहे, बस आसमान को देख यही एक दुआ माँग लेता हूँ,
कुत्ते भी अब भौंकते नही, शायद मुझे पहचानने लगे हैं,
और जो डर था मुझे काले चेहरों से,
अब वो भी उतरने लगा है,

कहीं किसी जगह रुककर तारों को देखने लगता हूँ,
सिगरेट के दो कशों की ताशीर से खुद को सेक लेता हूँ,
दोस्त, यार और वे हसीन जिनसे कभी दिल लगाया था,
सब होंगे अपने चाहने वालों की बाहों में,
और एक मैं लाखों तारों के नीचे, अकेली रात से बातें करता हूँ,



पूछता हूँ मैं रात से के मेरी आवारगी कब ख़त्म होगी,
कब मुझसे मेरी यह जंग, ये बेचैनी ख़त्म होगी,
रात कंधे पर सर रखकर बोली,
तुम हो साथी मेरे पर मैं थोड़ा सा डरती हूँ,
मैं तो हूँ हमेशा से अकेली पर तुम हमेशा साथ ना रहोगे,
आज जवान हो तुम, ताज़े फूल से खिले हो,
बेइन्तेहाँ खूबसूरत है ये बेसब्री तुम्हारी,
पर कल जब आएगा, तुम ऐसे ना रहोगे,

मैने हंसकर कहा, मेरी इस जवानी से शायद देवता भी जलते हैं,
वे नहीं जानते की हर काली रात के बाद सुबह कितनी खूबसूरत है,
मौत को टुकूर-टुकूर कर देखती ज़िंदगी कितनी हसीन है,
मेरे इस क्षण भर की ज़िंदगी में ही मेरी अमरता है,
इन चंद सासों के अंतराल में ही मेरी कहानी का सारांश है,
तुम भी हमेशा अकेला कहाँ रहती हो,
मिल ही जाते है तुमको मेरे जैसे दिल-फेंक आशिक़,
कल ना जाने किसका हाथ थामो तुम मगर,
आज मेरी इस आवारगी की हमसफ़र सिर्फ़ तुम हो…
-N2S
21072013

My Empty Room

Empty Room
“If she wants to hurt me,
I wish she does it tonight”

Damn my empty room,
this gloomy fluorescent light,
Me sitting in a corner against the empty wall,
And burning on my lips, the fifth cigarette of the night,
No messages from her,
I am still waiting with a faint hope,
restlessness seeps in,
despair grows and grows,
but the phone won’t buzz,
not even for a lie,
there were days when she used to hang after four in the morning,
Now there isn’t even a simple goodnight,

There is a lonely fish in the bowel,
I haven’t named it yet,
No sleep in my eyes,
My heart burned and hurt,
I wonder unaware of my anguish,
she must be sleeping tight,
I am doing nothing wrong
but something isn’t right,
If she wants to leave, just leave,
but don’t give me any more lies,
If she wants to hurt me,
I wish she does it tonight,



Damn! I need something to get high,
These cigarettes aren’t enough,
I have such a bad playlist,
finding hard to get the right words,
I don’t have a single sad song
to speak of my plight,
Nobody to call,
I don’t want to make it someone’s gossip or delight,
Why I even fall in love?
I was content with my lonely life,
But she made it feel worthwhile,
She gave me reasons to be happy and smile,
Now her silence makes me so terrible,
I can’t think straight, I need another light,
God! Give me something please,
I really need something to make through this long night. ..

-N2S
16062015

Befikri

lonely-boy
“हसरतों के समुंदर से जब किनारों को खोजता हूँ,
ना जाने क्यूँ और डूबता चला जाता हूँ मैं…”

सफेद धुएँ सा उठता हुआ कहीं खो जाता हूँ,
फूलों पर ओस की बूँदों सा लिपट जाता हूँ मैं,
खाली पन्नों पर खींचने को बेताब,
चंद शब्दों में ही ठहर जाता हूँ मैं,
हाथों की लकीरों में ना जाने क्या मंज़िल लिखी होगी,
फिलहाल तो वादियों,रास्तों, दरखतों में ही पनाह लेता हूँ मैं,
गाड़ी की रफ़्तार से जब झुलफें आँखों पर आती हैं,
बाहें फैलाकर पंछीयों सा उड़ जाना चाहता हूँ मैं,

समुंदर किनारे शाम को अलविदा कहता हूँ,
रेत में नंगे बदन लेटकर तारे गिनता हूँ मैं,
आवारगी है दिन में, रातें बेचैन फिरती हैं सड़कों पर,
कभी चाई की चुस्कियों में तो, कभी शराबी बन जाता हूँ मैं,

यारियाँ पहली सी ना रही,
जो थी नदियों सी शरारती,
अब वे बादल की बूदों की तरह कभी कभार ही बरसती,
उन्ही चंद बूँदों में बिनमौसम भीग लेता हूँ मैं,



हर खूबसूरत चेहरा है अपना, पर हम किसी के नहीं,
अब पहला सा आवारा दिल लिए फिरता नहीं,
जिनसे था प्यार कभी जहानों में,
एक-एक कर उनकी डोलियों को कंधा दे आया हूँ मैं,
कभी एक खलिश सिने में उठ ही जाती है की…
किसी को इंतेज़ार नही मेरा, फिर भी ना जाने किसकी राह तकता हूँ मैं,

बचपन के खेल मीठी यादें बन गये,
जवानी हर दिन एक नया इम्तिहान ले आती है,
आज बसतों में सपने कम उम्मीदें ज़्यादा हैं,
हसरतों के समुंदर से जब किनारों को खोजता हूँ,
ना जाने क्यूँ और डूबता चला जाता हूँ मैं,

शाम की साग पर भले कोई मेरा इंतेज़ार ना करे,
और ना जाने किसकी बाहों में ये सफ़र ख़त्म हो,
तब तलक बेफिक्री में तन्हा चलता जाता हूँ मैं…

-N2S

My Daily Rhapsody

solitude in metro life
“I have become a part of this cruel game”

Waking up with the alarm call,
I wish somebody throw it at the wall,
still dark, I don’t want to rise,
gone the days when I used to sleep after sunrise,
dressed in layers to escape the cold,
roads are filled with people from young to old,
traveling in crowded buses and Delhi Metro,
where everybody is standing on my foot, I am shouting “Hello!”,
I am suffocating and there is no air for me,
there is no one to blame, I am not the only,

I never thought of getting lost in the crowd,
imagining myself in flashy formal dresses, carrying a lunchbox, I would have laughed aloud,
but now I have become one of them,
working like machines from nine to seven,

I work as I have to learn,
like any other who want few bucks to earn,
eyes on the computer screen, ear pain of unpleasant chattering of keys,
I look around, unfortunately, I have turned into one of those geeks,
finally, the sufferings get over by evening,
the mind goes blank, body is paining,
I couldn’t laugh at those tired faces,
everybody is so right in their places,

they have their homes to go, I don’t have one,
somebody must be waiting for them,
but for me, nobody is waiting at the door,
I don’t have anyone to run or to hold,
watching them hugging and snuggling,
I wish I could have someone worrying,



Friends complain of ignoring them,
of not calling and messaging or at least replying them,
but I couldn’t defend myself long,
they are right, life has made me wrong,
I don’t have time for my own,
a moment for me to cry alone,
counting the days in the calendar,
waiting for the weekend to surrender,
then perhaps I will placate every soul,
on one Sunday I will message everyone and call,
but the days of fun are long gone,
we all have jumped in the rat race and are all alone,

I am signing off, have to sleep early,
there are no dreams waiting or any fantasy,
tomorrow I have to rise again,
as I have become a part of this cruel game…

-N2S