The Only Dream I Had

empty and wet road with forests around the sides

Sitting at the roadside with friends,
I looked at the gaudy block and buildings,
I wished I could own one of these someday,
I wondered how it would feel looking down this way,

Walking on the streets, I saw a shiny car in black,
A man in a suit sitting in the back,
He was calm, classy perhaps capable of everything,
I wish I could be him someday and would buy expensive things,

I was excited, what she would say,
She was the only one with whom I want to stay,
She did come but with someone,
Tall, mean, a ‘jerk’, that someday she would call him,
It was raining; she was standing under the expensive umbrella,
She said, “You deserve someone better as you are a good fella”,
“Yeah, I know that I am not crying, it just rain-water”,
She left in the car, “Yes she is no better”,
The road was deserted and I was lonely,
The rain kept pouring down on me,



Once you are wet, you don’t care how much you are drained,
You stop feeling anything after long periods of pain,
Watching her go I waited for her to look back,
But, she took away the only dream I had,

After several seasons, I was reading myself in the news,
I smiled on thousand lies not a single truth,
Standing on the top of my apartment at the Marine Drive,
My glance passed from the sea to a group of five,
They were laughing, joking and were happy,
I wished I could be that chirpy,

My fancy car stopped at the traffic light,
I saw a young man looking at me, dressed in blue and white,
He appeared as a warrior shining in his armor,
I wished I could be like him, carefree, rebellious, and a lot younger,
Now I own what others could only dream,
But my dream where is she?
Even after having everything why I am so empty?



It was raining in the dark night,
the road was empty with no other vehicle on the sight,
Around the corner, a woman was standing with arms crossed her chest,
Water dripping from her long hair drenching the rest,
“Lady, can I offer you a lift?’
“No thank you, I am waiting for my kid”,
Perhaps I was still the same old sentimental fella,
I came out of my car, handed over my expensive umbrella,
“Lady at least you can have this”,
She hesitated at first but anyways took it,
Then I saw her face which was glowing in the dark,
She was the same girl who once had my heart,
“Do you remember me?” She asked,
I didn’t reply and walked towards my car,

The car started and I didn’t look back,
I no more remember the only dream I had…

-N2S

बस मुस्कुरा देना (Bas Muskura Dena)

beautiful woman smiling
“वो वक़्त जब उनको देखते ही दिल की धड़कन तेज़ हो जाया करती थी”

किसी शाम मिल जाती है जब वो राह में,
वही खूबसूरत चेहरा और बड़ी-बड़ी भूरी आँखें,
कहता नही मैं कुछ बस ऐसे ही मुस्कुरा देता हूँ,
इस मुस्कुराहट में ना वो है और ना मैं हूँ,
ये तो बस उस वक़्त की शायद एक याद भर है,

वो वक़्त जब उनको देखते ही दिल की धड़कन तेज़ हो जाया करती थी,
और मैं उनसे मिलने की नयी नयी तरकीबें ईजाद किया करता था,
सोचता था यह कहूँगा वो कहूँगा,
उनसे दिल की सारी बातें कह डालूँगा,
पर जब वो मुस्कुराकर बात करती मुझसे,
मैं पागल, अपने सूखे होंठों को जीभ से गीला करता रहता,
दिन के हर पहर में तो थी वो ही,
और सपनो में तो उनसे ब्याह भी हो जाता,

इजहार-ए-दिल किया ना गया जैसा सोचा था,
और उन्हे भी नही थी फ़ुर्सत मेरे अरमानों को आँखों से पढ़ लेने की,
ना जाने क्या चाहिए था उन्हे,
जब मैं अपनी हर चाहत में उन्हे लिए बैठा था,
कितना माँगा उन्हे उपरवाले से,
मंदिर की चौखट भी पहुँच गया मैं नास्तिक उन्हे माँगने,
झूठ ही होगा अगर कहूँगा की रोया नही मैं अकेले अकेले,
और दो आँसू भी बह गये इस आशिक़ के
जब वा मुझे देखकर राह बदलने लगी,



हमने भी अपनी दू-पहिया मोटरगाड़ी निकाली,
और टूटे दिल को दफ़न कर आए नदी किनारे,
इस डर से के लोग कहेंगे की हमारा इश्क़ झूठा था,
मैखाने में उनके नाम के दो घूँट भी पी आया,

आज कई सालों बाद,
जब वे दिख जाती हैं उसी राह पर फिर से,
और दिल के किसी कोने से एक आशिक़ चीखने की कोशिश करता है,
मैं उसको ये समझाकर चुप कर देता हूँ,
की उनका भी कसूर नही था,

मेरी आशिक़ी को हाँसिल करे उनकी शायद ऐसी किस्मत ही नही थी,
और मेरे दिल को खरीद सके शायद उनकी इतनी हैसियत नही थी,
के अब ये दिल उनके लिए कभी नही धड़केगा,
इस पर वो आशिक़ बोल उठा,
चलो कुछ और ना सही,
उनके आने पर मुँह फेर ना लेना,
मुझे आज भी फ़िक्र है की उन्हे बुरा लगेगा
उस दौर की खातिर बस मुस्कुरा देना…
-N2S
12032014

You Belong To Me

couple in love
“You know how I feel when I am around you,
But you still don’t know how much it hurts when I am not around you”

I don’t want to appear heartbroken,
Please don’t feel sad, perhaps you are mistaken,
It’s just I miss you so much that it hurts a lot,
Life sucks without you and you aren’t even aware of that,

I miss our late night talks on the phone;
And the countless, dumb things we said just not to stop conversing,
The eyes would get sleepy but the fingers wouldn’t stop typing,
You are the last thing on my mind before sleep,
And you are the first person I want to hear in the morning,
I miss how even a minuscule “Hi” from you would make me smile,
The food tastes good and the euphoria stays for a while,
I re-read our conversations when you are not around,
Checking if I have said something weird or unsound,



I still remember, how terrified I was when I said I really like you,
I was afraid that perhaps I would lose you,
But I had to say it as I couldn’t take all that in me,
I thought my heart would burst and you would never know what killed me,
Now you know how I feel when I am around you,
But you still don’t know how much it hurts when I am not around you,
I wish you feel the pain which I am going through,
But I ain’t cruel like you,

I hate myself for not being able to hate you,
You are such a good liar but why I still love you?
I repeat I don’t want to sound heartbroken,
Please don’t feel sad, you are not the reason,
I am lying, these words mean nothing,
If you find tears in my eyes, I assure you I ain’t crying,
Don’t tou

Perhaps I am really terrible at lying,
I miss you plenty, I couldn’t do more denying,
If these words mean anything to you or
if you feel even an infinitely small fraction of what I feel about you,
Just come right away and hug me tightly,
And whisper in my ear,”You belong to me…”

-N2S
28052015

ज़िक्र कर लेना ज़रा सा (Jikr Kar Lena Zara Sa)

crops and sunset
“ना मिलने पर कोई जवाब, जो तुम्हे रोना आए,
तो फ़िक्र करना, फ़िक्र करना तुम ज़रा सा,”

सुनहरी धान के खेतों से बहती हवा जो,
शाम को खुद में बाँधकर लाए,
सूरज थककर जो बैठे साँस लेने को,
और रात अपनी बाँहों में तुझे भरने को आए,
मेरा ज़िक्र कर लेना, मेरा ज़िक्र कर लेना ज़रा सा,

तुम जो बैठो छत पर बालों को सहलाते हुए,
और ठंडी हवा तुमको छु जाए,
भीगो जो तुम बारिश में अपनी नीली चप्पल में,
और बूंदे तुम्हारा बदन नम कर जाए,
मुझे सोचना तुम, मुझे सोचना तुम ज़रा सा,

(Read another sad poem: राह में वो टकरा गयी)

चलो तुम सड़कों पर, बैठो जो बस में,
ढूँढे जो तुम्हारी आँखे मुझे, गुज़रे लम्हे तुम्हे याद आयें,
हाथ तरसे थामने को मेरी बाँहें,
और तुम्हे मेरी नादानियाँ याद आयें,
तो मेरी राह तकना, मेरी राह ताकना ज़रा सा,



जो कभी तुम मेरा रास्ता देखो,
मुझे हो देर और तुम्हारा दिल घबराए,
माँगना खुदा से मेरी सलामती, माँगना थोड़ी मोहल्लत,
ना मिलने पर कोई जवाब जो तुम्हे रोना आए,
तो फ़िक्र करना, फ़िक्र करना तुम ज़रा सा,

जो मैं कभी ना लौटू,
और मेरा जिस्म मेरा आँखरी खत लाए,
मेरी कब्र पर दो फूल रख देना,
शायद वो मुझे जन्नत में मिल जाए,
कभी ऐसे ही किसी दिन याद करके मुझे,
रो लेना, रो लेना तुम ज़रा सा…

-N2S
06072013

[Photo by Aperture Vintage on Unsplash]

राह में वो टकरा गयी (When She Met On Streets)

girl walking on road
“कल ऐसे ही अगर फिर से हम टकरा जायें किसी राह पर,
तो यूँही फिर से पहचानकर कुछ ना कहना”

हवा के ठंडे झोके सी,
आज वो राह में टकरा गयी,
वही बर्फ सा सफेद चेहरा,
गहरी काली आँखें और दिल चीर देने वाली सादगी,
उसने देखा मेरी ओर यूँ की जैसे कोई पहली पहचान हो,
और मेरे लिए तो जैसे लम्हा ही ठहर गया हो,
लफ्ज़ कुछ ना आए ज़ुबान पर,
बस एक हँसी ही होंठों पर आ सकी,
कहता भी तो क्या, नाम भी क्या लेता,
जिससे कभी ना एक पल की ही मुलाक़ात हो सकी,

उसे जाते हुए देखा तो एक पुराना वाक़या याद आया,
वक़्त में कुछ साल पहले, जब मैं ऐसा ही आवारा था,
बस में बैठा में ना जाने कौन सी उधेड़बुन में खोया था,
के वो मुझसे कुछ फ़ासले में बैठ गयी,
मैं हुआ थोड़ा बेचैन पर वो एक कहानी पढ़ने में मशगूल थी,
एक एक कर सब मुसाफिर बस से उतरने लगे,
और यह समय का दस्तूर ही था के अब हम दोनो ही थे,

जी हुआ के उठके कह दूं,
की क्या कुछ पल के लिए ही सही मैं तुम्हारा हमसफ़र बन सकता हूँ,
तुम्हे पा सकूँ, मैं इतनी बड़ी ख्वाहिश रखने से भी डरता हूँ,
तुम मुझे मिल जाओ, यह सोच के ही दिल रुक जाता है,
पर ना जाने क्यूँ तुमको देखकर रूह को सुकून मिलता है,
भरता नही मन, बस तुमको आसमान में सजाने को जी चाहता है,
लोग ना जाने कैसे तुमसे बात कर लेते हैं,
मेरा तो गला ही तुमको देखकर सुख जाता है,
यह सोचके भी मैं हैरान हूँ की लोग तुमसे हाथ मिलाकर भी,
कैसे ज़िंदा रहते हैं,
तुम अगर छू लो मुझे तो,
मुझे डर है शायद मेरा खून नसों में बहना छोड़ दे,



नहीं करता मैं उम्मीद तुमसे किसी भी एहसान की,
बस दो पल के लिए सही मुझे देखकर हंस दो,
मैं कुछ भी नही कहूँगा, तुम्ही कुछ गुफ्तगू कर लो,
अल्फाज़ों की किसे पड़ी है, मैं तो बस तुमको सुनना चाहता हूँ,
तुम्हारे साथ शायद हर लम्हा जैसे कोहिनूर सा कीमती हो,
अगर मिल सके खुद को बेचकर भी थोड़ी मोहल्लत,
तो दो पल और खरीद लूँ,
खैर जाने दो, मेरे ये शब्द मेरी हसरतों तक ही सीमित रह जाएँगे,
तुम्हारी आई मंज़िल तुम उठकर चल दी,
और मैं तुमको जाते देखकर यही सोचने लगा,

तुम मिली नही मुझे, ये शायद मेरी तक़दीर है,
मैं मिला नही तुम्हे, ये तुम्हारा नसीब है,
और कल ऐसे ही अगर फिर से हम टकरा जायें किसी राह पर,
तो यूँ ही फिर से पहचानकर कुछ ना कहना,
मेरा पास कहने के लिए होगा बहुत मगर, तुम उसकी हक़दार नही हो…

-N2S
29072013